देवभूमि उत्तराखंड में अगले वर्ष होने वाली एशिया की सबसे बड़ी पैदल धार्मिक यात्रा श्रीनंदा देवी राजजात भारतीय दूतावासों के माध्यम से संपूर्ण विश्व में पहुंचेगी। साथ ही वहां रह रहे लोगों को इस यात्रा से जुडऩे के लिए प्रेरित किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को श्रीनंदा देवी राजजात की तैयारियों को लेकर सचिवालय में बुलाई गई बैठक में अधिकारियों को इस दिशा में कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के माध्यम से विदेश से भी उत्तराखंड को जोड़ते हुए इसे ऐतिहासिक रूप देना है। इसके लिए देश-विदेश में इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीनंदा देवी राजजात उत्तराखंड की धरोहर है और इसे लोक उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। स्थानीय निवासियों की यात्रा में अधिकतम सहभागिता हो और सरकार सहयोगी भूमिका में रहे। उन्होंने कहा कि राजजात में उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा, वेशभूषा, वाद्य यंत्रों की छाप दिखनी चाहिए। इसके लिए संस्कृति विभाग को कार्ययोजना तैयार करने के उन्होंने निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि लोक कलाकारों के लिए इस प्रकार की व्यवस्था बनाई जाए, जिससे उन्हें लगातार भुगतान हो।
उन्होंने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को यात्रा से जुड़े हितधारकों के साथ बैठक कर उनके सुझाव भी कार्ययोजना में शामिल करने को कहा, ताकि बेहतर ढंग से यात्रा का संचालन हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्रा का मार्ग उच्च हिमालयी क्षेत्र व संवेदनशील है। उन्होंने यात्रा में बेहतर भीड़ प्रबंधन और पर्यावरण की दृष्टि आपदा प्रबंधन के साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के लिए एसओपी बनाने के निर्देश दिए। साथ ही आपदा प्रबंधन विभाग को भूस्खलन वाले क्षेत्र चिह्नित कर आवश्यक कदम उठाने को भी निर्देशित किया।
संरक्षित होंगे राजजात से जुड़े अभिलेख
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीनंदा देवी राजजात से संबंधित अभिलेखों को संरक्षित किया जाएगा। यह कार्य गढ़वाल एवं कुमाऊं विश्वविद्यालयों के मदद से किया जाएगा।
माहभर के भीतर शुरू होंगे काम
मुख्यमंत्री ने यात्रा मार्ग के साथ ही वैकल्पिक मार्गों का चिह्नीकरण व सुधार, आबादी वाले क्षेत्रों में छोटी-छोटी पार्किंग, पेयजल, शौचालय, ईको टेंट कालोनी, गाड-गदेरों का सुंदरीकरण, विद्युुत, बेहतर संचार नेटवर्क समेत अन्य व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने यात्रा मार्ग पर होने वाले अस्थायी व स्थायी कार्यों को चिह्नित कर स्थायी संरचनाओं की एक माह भीतर शासकीय स्वीकृति कराकर कार्य शुरू कराने के निर्देश दिए।
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